तेरे आंशु मुझे जख्म दे गए,
मौत माँगा तो मात दे गए,
दोस्ती के सागर को भुला दिया,
उतना पागल बना तुने दिया मुझे,
अब में तो चला हु कब्र पे मेरी,
जनाजे को भी न देखा मेरे तुने,
हमें आस थी तुन एकबार भी देखोगी हमें,
तभी तो गुजराथा जनाजा तुम्हारे घर से...
"विरल.. राही"
०६/०२/२०११